बोलने के लिहाज से जैसे आज बोला जा रहा है या कहा जाए तो जिसपे विश्वास किया जाए ,जो वो शब्द बोल रहे है उसकी कथनी और करनी मैं अंतर ना हो जिसको हम सुने एंटरटेनमेंट के लिए नहीं ,एक विश्वास के लिए एक विजन के लिए एक जर्नी के लिए एक उन्नति के लिए ,भारतवर्ष मैं एंटरटेनमेंट के लिए सिनेमा थियेटर्स है वहा जा के आनन्द और मजा ले,उसके लिये राजनीती मैं आनंद न ढूंढे बल्कि नेता हमारी जुबान बोले हमको जान के बोले की आखीर हमारी जरूरते क्या है हमे चाहिए क्या ? लेकिन हो क्या रहा है आज के युग मैं जो चुटकुले सुनाता है वही ड्रामेबाज हमे ज्यादा पसंद आता है बिना सोचे की जाने यह हमारा विश्वास है ,इसको अगर शोर्ट मैं कहू तो आज के युग मैं अछा स्पीकर ही अच्छा लीडर कहा जाता है ...श्रोता या वोटर अगर जिन्युइन्ली नेता को सुनने इस भरोसे के साथ जायेंगे की यही नेता मेरे भविष्य को जानता है मेरी जरूरतों को जानता है और यही पूर्ण करेगा.आज के युग मैं इस भरोसे और कांफिडेंस की सख्त जरुरत है जिसकी कमी नजर आती है आजकल ..रिवोल्यूशन नहीं इवोल्यूशन की सख्त जरुरत है .. आजकल यह कहा सुनने मैं और बोलने भी बहुत आता है की मनमोहन सिंह क