बोलने के लिहाज से जैसे आज बोला जा रहा है या कहा जाए तो जिसपे विश्वास किया जाए ,जो वो शब्द बोल रहे है उसकी कथनी और करनी मैं अंतर ना हो जिसको हम सुने एंटरटेनमेंट के लिए नहीं ,एक विश्वास के लिए एक विजन के लिए एक जर्नी के लिए एक उन्नति के लिए ,भारतवर्ष मैं एंटरटेनमेंट के लिए सिनेमा थियेटर्स है वहा जा के आनन्द और मजा ले,उसके लिये राजनीती मैं आनंद न ढूंढे बल्कि नेता हमारी जुबान बोले हमको जान के बोले की आखीर हमारी जरूरते क्या है हमे चाहिए क्या ? लेकिन हो क्या रहा है आज के युग मैं जो चुटकुले सुनाता है वही ड्रामेबाज हमे ज्यादा पसंद आता है बिना सोचे की जाने यह हमारा विश्वास है ,इसको अगर शोर्ट मैं कहू तो आज के युग मैं अछा स्पीकर ही अच्छा लीडर कहा जाता है ...श्रोता या वोटर अगर जिन्युइन्ली नेता को सुनने इस भरोसे के साथ जायेंगे की यही नेता मेरे भविष्य को जानता है मेरी जरूरतों को जानता है और यही पूर्ण करेगा.आज के युग मैं इस भरोसे और कांफिडेंस की सख्त जरुरत है जिसकी कमी नजर आती है आजकल ..रिवोल्यूशन नहीं इवोल्यूशन की सख्त जरुरत है ..
आजकल यह कहा सुनने मैं और बोलने भी बहुत आता है की मनमोहन सिंह कुछ नहीं बोलते चुप रहते है ,नरेन्द्र मोदी बहुत अच्छा बोलते है ..देखिये अच्छा बोलना प्रभावशाली भासण देना एक गुण है जो हर लोगो मैं नहीं होता है लेकिन इस गुण के कुछ खतरे भी होते है उसी खतरों को ध्यान मैं रखते हुवे ब्रिटिश राजनीति ने DEMAGOGIC(DEMAGOGUE) जिसको हिंदी मैं जनोत्तेजक (जनोत्तेजक नेता) कहा जाता है ..अछा बोलकर लोग या नेता जनता को अपने साथ बहां ले जाने की क्षमता रख सकते है इससे राजनीती को फायदा होने की बजाय नुकशान हो सकता है ..आम तौर पर होता क्या है की अच्छा बोलने के हुनर की वजह से बाकी के गुण/अवगुण हिडन रह जाते है ..एसे नेताओ को दूर दूर तक बुलाया जाता है मार्किट मैं ज्यादा रहते है. पर अच्छा भाषण देना राजनीती मैं उपर जाने की निशानी कतय नहीं हो सकती ..भारतीय इतिहास मैं अगर देखा जाए तो महात्मा गांधीजी अछे वक्ता नहीं थे..हिटलर बहुत अच्छा वक्ता बनना चाहता था उसके साथियो ने कहा की अपने हाथो का इस्तेमाल सही नहीं करते तो उसने हाथो की एक्टिंग सिखाने वाले टीचर को बुलाया और उसने हिटलर को हाथो का इस्तेमाल करना सिखाया की केसे हाथ हिलाके भाषण देना चाहिए ..वीडियो क्लिप देखिएगा कभी हिटलर की मालूम पद जायेगा ..इसलिए अच्छा भाषण देना भी एक ट्रिक है स्किल है जिसमें सबको महारथ हासिल नहीं होता ..जो जननेता होता है उससे अछे भाषण की उम्मीद की जाती रही है ..
जिम्मेदार नेता का दावा तो सब करते है एक दुसरे को निचा दिखाने वाला,कोम्युनल वक्तव्य देकर,व्यक्तिगत प्रहार कर के,पर यह नेता जानते नहीं की काम बोलता है (काम गलत भी हो सकता है ) सोच दिखती है उनकी गहराई क्या है बनावटी है या असली है लोग सब जानते है.संचार और संवाद के साथ साथ इमानदारी ,सच्चाई,क्षमता ,विश्वनीयता और लोगोकी जरूरियात समजने वाला होना चाहिए.
उसके खतरों को देखा जाए तो जनता के सामने एक जुठ परोस तो सकते है थोड़ी बहुत देर तक,और जनता उसपे भरोसा/यकीन भी कर सकती है उदाहरन के तौर पर लालुप्रसाद यादव ने जो राजनीतिक करियर की शुरुवात में जो परोशा था वो आज सच साबित नहीं हो पा रहा सच सबके सामने है ..इसका मतलब साफ़ है की अगर कोई लछेदार भाषण दे रहा है तो जनता को चाहिए की ध्यानपूर्वक सुने पढ़े उसके बारेमे उसकी पार्टी के बारेमे की क्या चरित्र उसका है और उसकी पार्टी का ,उसकी विचारधारा क्या है ,अतीत मैं वो क्या करता रहा है या उसके लोग क्या करते रहे है ? उनका रेकोर्ड क्या है ? हमारे मतदाता धीरे धीरे होशियार और समजदार भी होते जा रहे है तो लछेदार भाषण देकर लोगो को उल्लू नहीं बनाया जा सकता ..दुसरे खतरे है डिवाइड कर सकता है ,गलत राह जाती पर बाँट सकता है जिससे देश को बाँटना कहेंगे ,भाषा पर बाँट सकते है ,नाराज कर देना लोगो को (मतदाताओ को ),ओवर प्रोमिस (गलत वायदे ) कर देना .. एसे नेता और पार्टिया देश के लिए बड़ा खतरा हो सकती है ..
लास्ट मैं जवाबदार वोटर के तौर पीछे और आगे आनेवाले समय को देखकर जिनमे हम न्यूज़ मैं गोटाले ,कोर्ट मैं पड़े केश सबकुछ देखते हुवे, वोट करने के लिए बहुत होम वर्क करने की जरुरत पड़ेगी ..हमे एसा नेता चुनना होगा जो हमारा भविष्य देख सकता हो ..जो देश को मजबूत करे ना कि वो ताली बजने तक वाला या संसद न चलने देने वाला नेता बनकर रहे ..अच्छा व्यकता अपनी वाणी से सुला भी सकता है और जगा भी सकता है ..हमे किसे चुनना है वो आप खुद ही अपनी अंतर आत्मा से पूछ कर प्रमाणिकता से अपनी जवाबदेही से अछे नेताको चुनकर देश को सबसे आगे रखते हुवे चयन करे ...
....जय हिन्द ....
आजकल यह कहा सुनने मैं और बोलने भी बहुत आता है की मनमोहन सिंह कुछ नहीं बोलते चुप रहते है ,नरेन्द्र मोदी बहुत अच्छा बोलते है ..देखिये अच्छा बोलना प्रभावशाली भासण देना एक गुण है जो हर लोगो मैं नहीं होता है लेकिन इस गुण के कुछ खतरे भी होते है उसी खतरों को ध्यान मैं रखते हुवे ब्रिटिश राजनीति ने DEMAGOGIC(DEMAGOGUE) जिसको हिंदी मैं जनोत्तेजक (जनोत्तेजक नेता) कहा जाता है ..अछा बोलकर लोग या नेता जनता को अपने साथ बहां ले जाने की क्षमता रख सकते है इससे राजनीती को फायदा होने की बजाय नुकशान हो सकता है ..आम तौर पर होता क्या है की अच्छा बोलने के हुनर की वजह से बाकी के गुण/अवगुण हिडन रह जाते है ..एसे नेताओ को दूर दूर तक बुलाया जाता है मार्किट मैं ज्यादा रहते है. पर अच्छा भाषण देना राजनीती मैं उपर जाने की निशानी कतय नहीं हो सकती ..भारतीय इतिहास मैं अगर देखा जाए तो महात्मा गांधीजी अछे वक्ता नहीं थे..हिटलर बहुत अच्छा वक्ता बनना चाहता था उसके साथियो ने कहा की अपने हाथो का इस्तेमाल सही नहीं करते तो उसने हाथो की एक्टिंग सिखाने वाले टीचर को बुलाया और उसने हिटलर को हाथो का इस्तेमाल करना सिखाया की केसे हाथ हिलाके भाषण देना चाहिए ..वीडियो क्लिप देखिएगा कभी हिटलर की मालूम पद जायेगा ..इसलिए अच्छा भाषण देना भी एक ट्रिक है स्किल है जिसमें सबको महारथ हासिल नहीं होता ..जो जननेता होता है उससे अछे भाषण की उम्मीद की जाती रही है ..
जिम्मेदार नेता का दावा तो सब करते है एक दुसरे को निचा दिखाने वाला,कोम्युनल वक्तव्य देकर,व्यक्तिगत प्रहार कर के,पर यह नेता जानते नहीं की काम बोलता है (काम गलत भी हो सकता है ) सोच दिखती है उनकी गहराई क्या है बनावटी है या असली है लोग सब जानते है.संचार और संवाद के साथ साथ इमानदारी ,सच्चाई,क्षमता ,विश्वनीयता और लोगोकी जरूरियात समजने वाला होना चाहिए.
उसके खतरों को देखा जाए तो जनता के सामने एक जुठ परोस तो सकते है थोड़ी बहुत देर तक,और जनता उसपे भरोसा/यकीन भी कर सकती है उदाहरन के तौर पर लालुप्रसाद यादव ने जो राजनीतिक करियर की शुरुवात में जो परोशा था वो आज सच साबित नहीं हो पा रहा सच सबके सामने है ..इसका मतलब साफ़ है की अगर कोई लछेदार भाषण दे रहा है तो जनता को चाहिए की ध्यानपूर्वक सुने पढ़े उसके बारेमे उसकी पार्टी के बारेमे की क्या चरित्र उसका है और उसकी पार्टी का ,उसकी विचारधारा क्या है ,अतीत मैं वो क्या करता रहा है या उसके लोग क्या करते रहे है ? उनका रेकोर्ड क्या है ? हमारे मतदाता धीरे धीरे होशियार और समजदार भी होते जा रहे है तो लछेदार भाषण देकर लोगो को उल्लू नहीं बनाया जा सकता ..दुसरे खतरे है डिवाइड कर सकता है ,गलत राह जाती पर बाँट सकता है जिससे देश को बाँटना कहेंगे ,भाषा पर बाँट सकते है ,नाराज कर देना लोगो को (मतदाताओ को ),ओवर प्रोमिस (गलत वायदे ) कर देना .. एसे नेता और पार्टिया देश के लिए बड़ा खतरा हो सकती है ..
लास्ट मैं जवाबदार वोटर के तौर पीछे और आगे आनेवाले समय को देखकर जिनमे हम न्यूज़ मैं गोटाले ,कोर्ट मैं पड़े केश सबकुछ देखते हुवे, वोट करने के लिए बहुत होम वर्क करने की जरुरत पड़ेगी ..हमे एसा नेता चुनना होगा जो हमारा भविष्य देख सकता हो ..जो देश को मजबूत करे ना कि वो ताली बजने तक वाला या संसद न चलने देने वाला नेता बनकर रहे ..अच्छा व्यकता अपनी वाणी से सुला भी सकता है और जगा भी सकता है ..हमे किसे चुनना है वो आप खुद ही अपनी अंतर आत्मा से पूछ कर प्रमाणिकता से अपनी जवाबदेही से अछे नेताको चुनकर देश को सबसे आगे रखते हुवे चयन करे ...
....जय हिन्द ....
हिदायत बेटा असीस
ReplyDeleteविदेश में होने के कारण राजनीती या नेता पर टिप्णी नहीं लिख सकती |हम क़ानून से बंधे हैं
Sahi hai Bhai aise hi neta ko chun kar Lana chaiye k woh uski kahi Sab bato pe amal kar raha ho
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