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Showing posts from August, 2013

"यासीन भटकल" बड़ी उपलब्धि..

अब्दुल करीम टुंडा   के बाद कुछ ही समय मैं आतंकी यासीन भटकलका पकड़ा जाना एक बहुत बड़ी उपलब्धि  है हमारी जाँच एजंसियो की,यह २००८ से लेकर आज तक हुवे ४० से ज्यादा बम धमाके का मास्टर माइंड है जिसे रक्सौल जो भारत नेपाल बॉर्डर पे है वह से पकड़ा गया उसके साथ असदुल्ला हड्डी जो हिजबुल मुजाहिदीन के साथ जुडा  हुवा १० लाख का इनामी है उसकी भी गिरफ्त हुयी.भटकल इन्डियन मुजाहिदीन का सह सस्थापक है जो संस्था कट्टरपंथ से काफी प्रभावित है  और देशभर में बम विस्फोटों और हत्या मैं उसीका नाम है .भटकल अपने आप को कभी इंजिनियर और कभी युनानी डॉक्टर बताके बचने की कोशिश करता रहा.माना जा रहा है की अहमदाबाद  कलकत्ता ,पुणे ,चेन्नई ,मुंबई में बम विस्फोटों मैं यह सामिल था . अब आशा करते है की रियाज़ ,इक़बाल भटकल और सबसे बड़ा आतंकी दाउद भी पकड़ा जाए . हमें भारतीय न्याय प्रणाली पे पूरा भरोसा है की उनको जल्द से जल्द सखत सजा हो और मीडिया ट्रायल न हो .बाकी गुनाहगार को पकड़ने के लिए ऐसे लोगो को पब्लिक डोमेन मैं लाने की जरुरत है  जेसा अमेरिका ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के हमले के बाद लाया था .जहा आतंकवाद है वहा राजनीतिक पृष्टभूमि पलती रह

रूपया गिर रहा है या गिराया जा रहा है ?

रूपया क्यों गिर रहा है ,क्या उसके पीछे वजह है वो ना गिरे उसके लिए क्या ठोस कदम हो सकते है ? इन सब सोचनीय कदम के सिवा बस विपक्षको टोकना ,राजनीती करना ,हास्यास्पद और वाहियात प्रश्न उठाकर बस प्रजा को गुमराह करना आता है हमारे सभी पक्षों के राजनेताओ को..कोई कहता है खाद्य सुरक्षा बिल की वजह से बढ़ रहा है, तो कोई कोर्पोरेट को दुहाई दे रहा है, तो कोई ऍफ़ .डी .आई को मंजूरी को वजह मान रहा है आखिरकार माजरा क्या है यह आम आदमी कब समजेगा ? वेसे देखा जाए तो रुपये की यह हाल दो दशक से चली आ रही है.उसकी कुछ वजह है जिसे विस्तार से बताऊ तो सबसे पहले अर्थव्यवस्था की दिशा सही मायने मैं विकास दर पर होनी चाहिए .निवेश लाने के तरीके पर सोचने की बहुत ज्यादा जरुरत है .एसा ही आर्थीक संकट १९९१ मैं था पर उस समय और अभी के समय के साथ उसकी तुलना करना ठीक नहीं है .दूसरी वजह अगर समजी जाए तो बाजार और सरकार के बीच की जगह कोर्पोरेटरो ने ले ली है यह सब बाते बिना जाने बस विपक्ष आलोचना कर रहा है , सत्ता पक्ष अपनी साक बचाने मैं लगा है  और ट्विटर बहुत अच्छा माध्यम बन गया है आलोचना और टिपण्णी के लिए .. कुछ वजह यह भी है की निव

शर्मसार होती हुई इंसानियत

    मुंबई के परेल इलाके में २२ अगस्त गुरुवार रात एक फोटो पत्रकार के साथ सामूहिक बेरहमी से बलात्कार किया गया ,इस  मामले में पुलिस ने पांचों बलात्कारियों को गिरफ़्तार भी कर लिया है  और  वह पाचवा बलात्कारी बांग्लादेश भाग ने की फिराक मैं था ,फिर भी  वह महिला पत्रकार हिम्मत न हारते हुवे काम पर भी जल्द से जल्द लौटने को तैयार है उसके यही जज्बे को सलाम ..हमे महिलाओं के संदर्भ में सोच बदलना बहुत ज़रूरी है,हम क्यों अपने माता बहनों को भूल जाते है और इंसान हिवन बन जाता है । समाज जिस तरह हिंसक बन रहा है उसकी इस प्रवृत्ति का इसी का सामना इस जज़्बे के साथ करना होगा।उसके लिए अगर गहन अध्ययन या भीतर से सोचे तो यही लग रहा है की कही न कही हमारे बच्चो को दिए जाने वाले संस्कारो मैं कमी है ..हम उन्हें वो फ़र्ज़ ,मेनर, सेन्स नहीं दे पा रहे है जो एक सचे और अच्छे इन्सान की पहचान बन पाए..हम देखते आये है  की महिलाओ की सुरक्षा है ही नहीं वो हर वक़्त घर ,ऑफिस या कही न कही अमानवीयता के व्यहवार का सामना करती रहती है ..पेरेंट्स अपनी बच्चियों को अच्छी सिक्षा तो देना चाहते है पर उनको कही बहार पढने क लिए भेजना नहीं च