रूपया क्यों गिर रहा है ,क्या उसके पीछे वजह है वो ना गिरे उसके लिए क्या ठोस कदम हो सकते है ? इन सब सोचनीय कदम के सिवा बस विपक्षको टोकना ,राजनीती करना ,हास्यास्पद और वाहियात प्रश्न उठाकर बस प्रजा को गुमराह करना आता है हमारे सभी पक्षों के राजनेताओ को..कोई कहता है खाद्य सुरक्षा बिल की वजह से बढ़ रहा है, तो कोई कोर्पोरेट को दुहाई दे रहा है, तो कोई ऍफ़ .डी .आई को मंजूरी को वजह मान रहा है आखिरकार माजरा क्या है यह आम आदमी कब समजेगा ? वेसे देखा जाए तो रुपये की यह हाल दो दशक से चली आ रही है.उसकी कुछ वजह है जिसे विस्तार से बताऊ तो सबसे पहले अर्थव्यवस्था की दिशा सही मायने मैं विकास दर पर होनी चाहिए .निवेश लाने के तरीके पर सोचने की बहुत ज्यादा जरुरत है .एसा ही आर्थीक संकट १९९१ मैं था पर उस समय और अभी के समय के साथ उसकी तुलना करना ठीक नहीं है .दूसरी वजह अगर समजी जाए तो बाजार और सरकार के बीच की जगह कोर्पोरेटरो ने ले ली है यह सब बाते बिना जाने बस विपक्ष आलोचना कर रहा है , सत्ता पक्ष अपनी साक बचाने मैं लगा है और ट्विटर बहुत अच्छा माध्यम बन गया है आलोचना और टिपण्णी के लिए ..
कुछ वजह यह भी है की निवेशक अमेरिका की और बढे है ,देश मैं २जी ,कोमंवेल्थ ,कोलगेट और कालाधन बस यही पे इतने रूपये का भ्रस्ताचार है की सोचो उसका निवेश अगर टोटल लगाके देश के विकास मैं लगाया जाये तो कुछ प्रतिशत बहुत फर्क पड़ सकता है ..निवेशक भारत मैं ही रूपया लगाके कुछ चीजों के मेन्युफेक्त्चर को बढ़ावा दिया जा सकता है पर नहीं इम्पोर्ट बिल पर ही ध्यान ज्यादा होगा एक्सपोर्ट बिल पर नहीं ..अभी ही चिदंबरम ने कहा की टॉप की २० चीज़े हम बना सकते है तो क्यों नहीं बनाते ? किसने रोका है ? हा चलो मान लिया जाए की इस आर्थीक संकट के पीछे कुछ गलत फेसले हो सकते है पर अब तो जाग जाओ और कुछ ठोस कदम उठाओ अब समय आ गया है ..
अब लगने लगा है की गांधीजी का चरखा ही एक हस्तचालित युक्ति है जिससे सूत तैयार किया जाता था । इसका उपयोग कुटीर उद्योग के रूप में सूत उत्पादन में किया जाता था । भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में यह आर्थिक स्वावलम्बन का प्रतीक बन गया था। यही करके स्वदेशी बनावट और खादी की मृदुता, मज़बूती, बारीकी और पारदर्शितासे देश का विकास हो सकता है नाकि अमेरिका या आज के युग की आर्थिक नीतियों से.
देखना यही होगा की इसगिरावट को कम केसे करते है ,रुपये की खातिर क्या करेगी सरकार ? इस आर्थिक आपात काल की परिस्थितीयो से केसे उभार सकती है आम जनता को आने वाला वक़्त बताएगा या आप भी यही सोच रहे है की चुनावी माहोल मैं चले गए है सब दल ???
जय हिन्द ...
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