इंसान सदीओ से संघठन की ताकत के बारेमे सुनता आया है.फिर भी वाही इन्सान अकेला है उसका मुख्य कारण घमंड हो सकता है जो इन्सान को एक होकर काम करने नहीं देता,इसी वजह से कुटुम्बे छोटे होते जा रहे है.कम्पनिए,धंधे,रोजगारी के अवसर बंध होने जा रहे है.हमे आजके इस आधुनिक युग मैं एक बात याद रखनी चाहिए की जो कुटुंब,कम्पनी,तंत्र या व्यवस्था मैं अगर संघठन नहीं होगा तो उसका वजूद/अस्तित्व नहीं रहेगा.जब इन्सान मैं अहंकार आ जाता है की वह दुसरो से ज्यादा एहमियत रखता है तब से समज लेना चाहिए की लोगो के दिलो मैं ,घरो मैं ,उद्योगों मैं या व्यवस्था मैं फर्क दिखने लगता है.इस सृष्टि मैं हर कोई इन्सान,जानवर या कोई भी चीज का उसका अपना एक महत्व रखती है.जब यही महत्व नजरअंदाज होता है तभी से कोई भी संघठन चाहे कितना भी मजबूत हो उसका पतन शुरू होने लगता है.हम सब एकदूसरे के बिना अधूरे है और अकेले रहकर हमारी शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है.जो की संघठित रहकर हम कोई भी अशक्य,अशक्त या कठीन काम आसानी से कर शकेंगे. संघठन को दुसरे शब्दों मैं इश्वर,अल्लाह,जिसस,वहेगुरुजी,साईंबाबा के तौर पर भी जान सकते है,क्युकी वही जीवन,प्रकाश,प्रे