इंसान सदीओ से संघठन की ताकत के बारेमे सुनता आया है.फिर भी वाही इन्सान अकेला
है उसका मुख्य कारण घमंड हो सकता है जो इन्सान को एक होकर काम करने नहीं देता,इसी
वजह से कुटुम्बे छोटे होते जा रहे है.कम्पनिए,धंधे,रोजगारी के अवसर बंध होने जा
रहे है.हमे आजके इस आधुनिक युग मैं एक बात याद रखनी चाहिए की जो
कुटुंब,कम्पनी,तंत्र या व्यवस्था मैं अगर संघठन नहीं होगा तो उसका वजूद/अस्तित्व
नहीं रहेगा.जब इन्सान मैं अहंकार आ जाता है की वह दुसरो से ज्यादा एहमियत रखता है
तब से समज लेना चाहिए की लोगो के दिलो मैं ,घरो मैं ,उद्योगों मैं या व्यवस्था मैं
फर्क दिखने लगता है.इस सृष्टि मैं हर कोई इन्सान,जानवर या कोई भी चीज का उसका अपना
एक महत्व रखती है.जब यही महत्व नजरअंदाज होता है तभी से कोई भी संघठन चाहे कितना
भी मजबूत हो उसका पतन शुरू होने लगता है.हम सब एकदूसरे के बिना अधूरे है और अकेले
रहकर हमारी शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है.जो की संघठित रहकर हम कोई भी
अशक्य,अशक्त या कठीन काम आसानी से कर शकेंगे.
संघठन को दुसरे शब्दों मैं इश्वर,अल्लाह,जिसस,वहेगुरुजी,साईंबाबा के तौर पर भी
जान सकते है,क्युकी वही जीवन,प्रकाश,प्रेम,संपत्ति,सिध्धांत,कायदे,विश्वव्यापक मन
है.सभी प्रेम के स्त्रोत मैं उपरवाला ही एक शक्ति है जो हरेक जगह पर हाजर,सब ज्ञानधारी,दैवी
ताकत रखनेवाला,सतत सर्जनात्मक,टिकाऊ जिसमें पूरी सृष्टि समायी है जिससे हम
जीते,चलते और इंसानियत का अस्तित्व रखते है.यह सब एक धागे से बंधा हुआ है इसलिए हम
सब को उपरवाले की इच्छा अनुसार एक और नेक बनके रहना है यही संघठन की ताकत है .
इतिहास के पन्ने फेर कर देखे या नजर डाले तो जितने भी सफल आन्दोलन,लड़त या
युध्ध हुए है वो सभी मैं संघठन की एकजुटता ज समायी हुई है इसलिए ज्यादा लिखना आता
नहीं पर इतना जरुर कहूँगा की समय आ गया है एकजुट बनके देश की रक्षा करने का.हमारी
एकजुटता ही हमारी ताकत है.अगर हमे सफल होना हो ,सही अर्थ मैं माँ भारती की सेवा
करनी हो ,मातृभूमि का रुण अदा करना हो तो हम सभी को एकजुट ही रहना पड़ेगा.कोई भी
संघठन मैं मतभेद होने स्वाभाविक है पर मनभेद होना आत्मघाती है.हमारे अकेले के
स्वार्थ के लिए संघठन की साक को नुकशान पहुचना ठीक नहीं.आज जरुरत है की हमे अपने
व्यस्त समय मैं से थोडा वक़्त निकालकर अपने संघठन को मजबूत बनाये..आपकी सक्रियता और
जग्रुतता से ही मजबूत होंगे ..._/\_
जय हिन्द ..
जय जवान ..जय किशान ..
Comments
Post a Comment