मुबारक हो सियासतदान
के घर अमन पैदा हुआ है.घर मैं ख़ुशी/जश्न,गाने बजाने का माहोल है .मीठाइया बांटी जा
रही है गाँव मैं.धीरे धीरे अमन की परवरिश होती है,बड़ा होकर गाँव मैं गुमने निकलता है
गली,चोराहे,मैदान,तालाब,खेत मैं, हर जगह गुजरते वक़्त उसे कुछ बाते,खुसी,खेल कूदने
की आवाज़े सुनाई पड़ती है पर जब जगह के नजदीक पहुचता है तो हर जगह मैं वीरानी,खालीपन
कहने का मतलब कुछ भी नहीं मिलता .अमन को बात समज मैं नहीं आती की माजरा क्या है ?
नसीब से वो हर जगह पर अलग अलग समय पर उसे कोई मिल जाता है और उसे पूछने लेता है ..जब
गली से निकलकर चोराहे पर आता है तो एक बुजूर्ग मिल जाते है उनसे अमन पूछता है तो
उनका जवाब होता है की बहुत समय पहले यहाँ गाँव के इंसान बैठा करते थे और दुनियाभर
की बाते करते थे पर वही इंसान बाद मैं हिन्दू-मुस्लिम से जाने गए ,उसके बाद की तो
बात ही मत पुछो...फिर अमन आगे बढ़ता है वह गाँव के मैदान के पास वही आवाज़े सुनता है
पर पास जाते ही कुछ भी नहीं ,उसी वक़्त उमरदराज चरवाहा निकलता है उससे अमन पूछता है
तो उनका भी यही जवाब की यहाँ बरसो पहले इंसानी बच्चे खेला करते थे बाद मैं वही
बच्चे हिन्दू-मुस्लिम से जाने लगे ,उसके बाद की तो बात ही मत पूछो ..फिर अमन तालाब
के पास से वही आवाजे सुनकर पास जाता है कोईभी नहीं पर एक धोबी को कपडे धोते देख
वही पूछता है और उसीका भी यही जवाब की यहाँ पहले इंसान और उनके बच्चे नहाने,कपडे
धोने आया करते थे फिर वही इंसान हिन्दू-मुस्लिम से जाने लगे,उसके बाद की बात ही मत
पुछो ..अमन ने उन तीनो से जब पुछा की आप क्यों यहाँ रह रहे है ? उन तीनोका एक ही
जवाब था की जिस मिट्टीसे हम पैदा हुवे,जिस मिटटी मैं बड़े जिस मिटटी से प्यार है और
उसी मिटटी मैं एक दिन मिटटी ही होना है और हमारा इस मिटटी के सिवा कोई नहीं तो कही
भी जाकर क्या करे ? अमन अकेला सा महसूस करने लगा उसको बात समज मैं नहीं आई उसे एक
युक्ति सूजी ,तुरंत माँ के पास गया ..माँ को सब बताया की इंसान और हिन्दू-मुस्लिम
बात क्या है ?
माँ तो माँ होती है अपने बच्चे को कभी गलत बात नहीं
कह सकती ..माँ ने प्यारसे अमन को गीता,कुरान,बाइबल,गुरुग्रंथसाहिब मैं बताये गए
इन्सान और इंसानियत के महत्त्व को बताया और इन सभी धर्म को सच्चे,नेक,ईमानदारी से
माननेवाले को इन्सान के रूप मैं बताया..पर बाद मै कुछ अधार्मिक लोग इंसानी दुश्मन बन
कर अपने आप को धार्मिक,ठेकेदारी करनेवाले लोगो का युग शुरू होने लगा जिनको वास्तव
मैं धर्म से दूर दूर तक कुछ लेना देना नहीं था,सिर्फ स्वार्थ और राजनीती ,वही लोगो
ने यही इंसानी लोगो को हिन्दू-मुस्लिम मैं बांटा और अपनी सियासत को चमकाने ,बढाने
और स्थायी रखने के लिए सच्चाई ,असलियत को दफना कर धार्मिक उन्माद मचाया..वही उसी
वक़्त जब यह बाते हो रही होती है तभी अमन के पापा आ जाते है ,यही सब बाते जब अमन
पापा को बताता है की क्या यह सच है तो वो यह सब सच्चाई को सिरे से ख़ारिज करते है
क्युकी वो सियासतदान है जेसे पहले ही बताया ...
अमन तबसे
कन्फ्यूज है की आखिर असलियत क्या है ..अमन दरबदर की ठोकरे खाकर वही इंसानों को ढूढ
रहा है..आपको भी कही चैन,भाईचारा,शांति,मोहब्बत नामक इन्सान मिल जाए तो प्लीज अमन
को उनसे मिलाने की मदद जरुर करे ..__/\__
जय हिन्द...
जय जवान ..जय
किशान ...
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