सब से पहले हर वो
लिखनेवाले छोटे बड़ो को सत सत वंदन और नमन करता हु.आज कुछ लिखने का मन किया आज के
हालात पर,क्युकी हर जगह चाहे प्रिंट मिडिया हो या इलेक्ट्रोनिक मिडिया कुछ अच्छा सुनने या पढने को नहीं मिल रहा,मैं कुछ कर तो नहीं सकता पर कुछ शब्द लिखकर अपनी
भडाश जरुर निकाल शकता हु ताकि कुछ हदतक तसल्ली और शुकून दे शकू अपनेआप को.खासतौर
पर मुझे जिस पर गर्व और सन्मान है उन सब लेखको जो विरोध और अपमान का शिकार हो रहे
है,मैं खुद जो भी हु या कोई भी इंसान दुनिया का लेलो वो पुस्तक,वांचन के बिना
अधुरा है उनके बारे मैं अनापशनाप मुझे तो बिलकुल स्वीकार्य नहीं मेरे बर्दास्त के
बहार है और इतना ही दुखदायक है.कुछ भी लिखने के लिए वैचारिक विशुध्धि और
सर्जनात्मक सोच/विषय चाहिए,मेरे हिसाब से लिखने की कला जो है इसके जैसी कला दुनिया
मैं कोई नहीं और सबसे उपर है.लिखने की कला के लिए ५६ इंच के सीने के सिवा
दिल,दिमाग और कायनात की हर सोच का नाप भी कम है .उसके लिए दुनिया का विशाल फलक पड़ा
हुवा है कोई नाप या सीमा ओ की रोकटोक की जरुरत नहीं.इन लिखावाटो मैं से कुछ लेखन
शक्ति को मान सम्मान या एवार्ड से नवाजा जाता है एसे ही या युही कोई नहीं मिलता मान
सम्मान.वही चुने हुवे माननीय लेखक अपना साहित्य अकादमी एवार्ड वापिस दे रहे है ये
कोई छोटी बात नहीं ,कभी सोचा है की उनके दिल पे क्या गुजर रही होगी देश के हालात
को लेकर हम बहुत छोटे है उन की सोच के आगे.
हमारे समाज,राज्य और देश
की व्यवस्था को कुछ नेता,मिडिया और ठेकेदार अपनी फुरसत बनाकर जो मन मैं आये अनाप
शनाप बोल देते है,कुछ मीडियावाले तो आका ओ के मन मुताबिक पेनल बनाकर डिबेट करवा
रहे है कितना शर्मशार करनेवाला है यह नजारा.लेखको को डिबेट मैं बुलाकर लगातार नीचा
दिखने और अपमान करने का काम कुछ मिडिया वाले कर रहे है उनके पीछे कौन है यह समजदार
जनता को समजाने की जरुरत नहीं.आजकी आजाद भारत की व्यवस्था को गुलामी की व्यवस्था
मैं जो तब्दील करने की कोशिशे जोरशोर से हो रही है ये देश के लिए बहुत घातक है .एक
दो चैनल वाले तो लेखको को यही पुछनेकी जिद्द पर होते है की भूतकाल मैं यह क्यों
नहीं किया अरे मेरे मिडिया वाले भाई तूम कहा थे उस वक़्त जरा गिरेबान अपना भी देख लिया
करो सदियों पहले की बात तो है नहीं ? आजके नेता और मीडया मैं जज और ऑब्जर्वर बनने
की होड़ कुछ ज्यादा ही दिख रही है और दंभ,अहंकार भी छ्लोछल उभर रहा है पार्टी
प्रवाकताओ से,लोकशाही के जवाबदेह चौथे स्तम्भ का पारा दिनबदिन गिरता जा रहा है .सब
मीडिया वालो की बात नहीं ये बात का ध्यान रहे मैंने कुछ मिडिया वाले लिखा है तो वही
कुछ मिडिया वालो से दोनों हाथ जोड़कर बिनती है की अपनी जवाबदेही बखूबी निभाए और सच/सही
को जनता के सामने लाये.खासकर बिनती ये की लेखको को कम से कम कोंग्रेस,भाजपा या और
कोई पार्टी से न जोड़े.उनके लिए कोई राजनीती मायने नहीं रखती .आप भी अपने दिल पर
हाथ रखकर सोचे की सही मैं हालात ख़राब हो जाते है या ख़राब करवाए जाते है ..जल्द से
जल्द देश के हालात अच्छे हो ..भाईचारा कायम रहे ..मिलजुलकर रहे ..यही दुआ और आशा
के साथ ..जय हिन्द .._/\_
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