2012 पहले की परिस्थिति
20 सितम्बर 2012 में हम यहा खाटी सितरा मैं काम करने आये.जब
हमने गावमें पैर रखा और गाँव की परिस्थिति से वाकेफ हुवे तो लगा की यहाँ के लोग
विकास से कोसो दूर है.एसा लगा जैसे यह जगह भारत का भाग ही न हो.एक भाई को जब पुछा
की हमारा देश कौनसा है ? उत्तर सुनकर हेरान हो गए किसीने कहा अमिरगढ़ तो किसीने
अम्बाजी तो किसीने पालनपुर कहा.उससे आगेका प्रत्युत्तर किसीके पास नहीं था.फिर हम
समज गए की इनकी दुनिया यही तक सिमित है.
गाँवमें स्कुल नहीं ,मतलब गाँव में गुमने निकले तो बच्चे भेड,बकरियाँ
चराते मिले,खेतो में काम करते मिले,शहद,गोंद या जंगली उत्पाद इकठ्ठा करते हुए मिले.गाँवमें आंगनवाडी नहीं मतलब सगर्भा,धात्री
या किशोरियांको सँभालने वाला कोई नहीं.इसके कारण गायनेक रोगो की तादाद बहुत
ज्यादा.माता मृत्यु का दर बहुत ही ऊँचा और छोटी उम्रमें शादी करनेवाली बेटियाँ की
स्थिति तो बहुत ही ज्यादा ख़राब.कुटुंब नियोजन की साधन सामग्री का उपयोग या ओपरेशन
का तो पता ही नहीं(यह बात जागरूकता की है जो उनतक पहुचती ही नहीं !!!) और कुपोषित
बच्चो की बहुत ज्यादा तादाद हमें दुखी करने लगी.
आसपासमें स्वास्थ्य
सुविधा PHC सेंटर गाँव से 16 किमी दूर
तहसील सेंटर अमिरगढ़मैं और 12 किमी दूर विरमपुरमें,पर यह दोनों जगह पर पहुचने के
लिए कुछ रास्ता पैदल ही पार करना पड़ता.क्युकी एक गाँव को दुसरे गांवके साथ जोड़ने
का रास्ता ही नहीं था.छोटी छोटी बीमारियों मैं लोग प्राइवेट डॉक्टर के पास जाते और
100-200 रूपये खर्च करते.और एक दिन की मजदूरी बिगड़ती.डिलीवरी के वक्त बहनोको
कपडेकी जोली बनाके दो लोगो द्वारा उठाकर लेजाना पड़ता.
गाँवमें सब घर कच्चे मिटटी के झोंपड़े,किसीके पास पक्का मकान
नही.छोटी छोटी ढाल टेकरे वाली जमींन,खास कोई उत्पादन नहीं और फारेस्ट डिपार्टमेंट
कोई भी जंगली चीजे बेचने नहीं देते और चोरी-छुपे से बेचने जाय तो व्यापारी भाव
नहीं देते थे.कोई दूसरा रोजगारी नहीं आय के साधन नहीं.
सरकारी तंत्रमे इतना भ्रष्टाचार की आय के दाखले के 20
,राशनकार्ड के 500 देने पड़ते.और राशनकार्ड APL ही निकालते BPL लिस्टमें गाँव के दो
चार लोग ही.इसलिए कोई सरकारी खास योजना का लाभ नहीं मिलता था.कुछ योजनाए गाँव के
लोगोके नाम पर खा जाते थे सरकारी लोग,लोगो को पता ही नहीं होता था.
गाँवमैं कोई अधिकारी कभी नहीं आता,गाँव का नाम भी नक़शे मैं
नहीं.इसलिए गांवके नाम की ग्रांट भी नहीं मिलती.लोग मक्के या बाजरे की रोटी बिना
तरीके से बैठकर खाते.वेल्यु की बहुत कमी.पर प्रेम दया भाव वाली जनता.स्वच्छता नहीं
,नहाने का कोई ठिकाना नहीं.शहर जाने से डर.अस्पताल जाने से बेहतर
“भोपाला(अन्धविश्वाश)”मैं ज्यादा भरोसा.गाँव में डॉक्टर नहीं पर भोपाला करनेवाले
12 भोपे ! हर बार दाने चाहिए ,चडोतरा और बलि की प्रथा इतनी ही घातक.
यह सब देखकर कलेजा कम्पित हो जाता और ह्रदय द्रव
उठता.लोगोके लिए क्या करना की कश्मकश्म –काम बहुत ही कठिन,भाषा अलग ,रहना कहा ?आने
जाने के लिए रास्ता नहीं.अन्तमें हमने एक बबुलके पेड़ के निचे रहना तय किया और
शुरुआत की.वो दिन था 20 सितम्बर 2012.
शरुआत
शरुआत मैं एक पेड़ के निचे रहना शुरू किया फिर बादमें एक भाई
बकरिया रखता था उसके छतमैं थोड़े दिन रहे.इसके बाद गांवके कुछ लोगोके साथ मीटिंग
की.गाव के वडील आशाभाईने उनकी टेकरेवाली जमीन दी.युवाओको भरोसा बेठने लगा तो गाँव
के युवाओने मिलकर 11 दिनतक लगातार मेहनत की एक बांस-घास की झोम्पडी बना दी.
हमने इस झोम्पडी से सेवायग्य शुरू किया.हमारे साथ चार बच्चे
उनको साथ रखकर पढ़ाते फिर 10-12 बच्चे आने लगे उनको पढाना शुरू किया,यह देखकर
लोगोका भरोसा बढे और हमें स्वीकार करे यही प्रयत्न के साथ घर घर फिरते,लोगोके
नाख़ून काटते,उनसे बाते करते और उनकी भाषा सिखने की कोशिश करते.उनको समजने की कोशिश
करते.कोई ज्यादा बीमार हो तो उनके साथ अस्पताल जाते,बिल कम करवाते,डॉक्टर्स को
उनकी कमजोर आर्थिक परिस्थिति के बारेमे समजाते.और लोगोके दिलोमें जगह बनाते.इसी
तरह लोग हमें छ महिनेके अन्दर साहब की जगह बड़ेभाई कहने लगे.
हमने सबसे बड़ा काम सरकार और लोगो के बीचमें मध्यस्थी बननेका
काम किया.दो साल तक हमने बच्चोको पढ़ाया और आज
गाँवमैं स्वतन्त्र सरकारी स्कुल है.गाँवमैं 139 बच्चे पढ़ाई कर रहे है.हमने जिन 4 बच्चोसे शुरुआत की थी वो आज 8वी कक्षामें पढ़ रहे है.और
हमारे साथ 30 बच्चे रहते है.इन 30 बच्चो के साथ हम वेल्युबेज प्रवृत्ति करते है. बच्चोमें श्रम, श्रध्धा, विश्वाश, प्रेम, करुणा, संवेदना, आदर, विवेक, मान-मर्यादा, भावना
वगेरा मानवीय मुल्योका जतन हो एसे प्रयत्न कर रहे है.
इसके अलावा हमने लोकभागीदारी से आंगनवाडी शुरू की है.जिसमे
50-60 बच्चे लगातार पोषक आहार ले रहे है.इसके आलावा सगर्भा-10 ,धात्री-39,किशोरी
-33 की हर महीने पोषक आहार और स्वास्थ्य तपास हो रही है.उनको विटामिन्स,आयर्न और
फोलिक दी जाती है.बच्चोके वजन,ऊंचाई वगेराके नाप ,कुपोषित बच्चोको इलाज दे रहे है.मातामृत्यु और बालमरण की तादाद कम हुई
है.
युवाओको रोजगारी मिले इसलिए जंगली उत्पाद शहद,गोंद,गूगल(धुपमे
उपयोग होता है ) इकठ्ठा करके तीगुना भावमें
देते है.जो भी मुनाफा होता है उससे गांवके स्वास्थ्य सेवाओके काम होते है.इसके
आलावा कुटुंब नियोजन के साधन और टेबलेटका उपयोग अब कर रहे है.कुछ बहनों ने तो कुटुंब
नियोजन के ओपरेशन भी करवाए है.
गांवमें ही स्वास्थ्य सेवाए मिले इसलिए हर महीने गांवमे ही
आरोग्य केम्प करते है .गाँव के ही एक युवान को लोकसारथी फाउंडेशन द्वारा वालंटियर बनाके
आरोग्य तालीम दिलवाके टच मेडिशिन दे रहे है.हर महीने गांवमे गुमकर ज्यादा बीमार को
सरकारी योजनाए ‘माँ’ कार्ड RSBY में जोड़कर मुफ्त,अच्छा इलाज मिले एसे प्रयत्न करते
रहते है.
BPL यादी मैं नाम एड करनेके लिए सरकारी तंत्र को सहमत
किया.एसे गांवके 76 राशनकार्ड APL(Above Poverty Line ) से BPL (Below Poverty
Line) कराये है.रोजगारी के लिए 3 फेमिली को लोंन दिलवाया है.पानी निकालनेके लिए
इंजिन,पाइप,तिरपाल,बिज,सब्जी,खाद वगेरा सरकारी योजनाए,दाताओ और सेवाभावी संस्था
द्वारा लोगो तक पहुचाया है.
अब फारेस्ट डिपार्टमेंट भी मदद कर रहा है.इसके आलावा गाँव
के युवा कडिया काम,लाईट रिपेरिंग,बढईगिरी काम की तालीम देकर उनको काम मिले एसा
प्रयत्न कर रहे है.
गांवमें बहनोके 6 बचत मंडल बनाये है.जिसमें गाँव की 70 बहने
अपनी सेविंग्स करती है.इसके अलावा ग्रामविकास और रोजगारीके छोटे बड़े काम मैं
मददरूप होती है.बचत मण्डलीयोको लोंन भी मिली हुई है.
गांवमें बिजली नहीं थी तो सरकार की सहायता से 69 लाख के
खर्चसे पुरे गांवमे 128 सोलार लाईट लगाईं है इसी तरह गाँव प्रकाशित हुवा है.गांवमें
आती योजनाओ के लिए तंत्र भी मदद कर रहा है कोईभी अभ लांच रुश्वत नहीं मंगता.
गांवमे मामलतदार,तहसील अधिकारी,अधिक कलेक्टर,प्रायोजन
अधिकारी,जिल्ला विकास अधिकारी सबने मुलाकात की है.इसके आलावा ३००० जितने
सेवाभावी,वैचारिक सक्षम नागरीक,दाताओ ने मुलाकात की है.इसके साथसाथ गांवके
बड़े,महिलाए,युवा और बच्चो को प्रेरणा प्रवास करवाकर गाँव से बहार शहर और दुनिया की
वर्तमान परिस्थितियाँ से वाकेफ करने का प्रयत्न किया है.
गाँव का नाम : खाटी सीतरा
ग्राम पंचायत : खापा ग्रुप ग्राम पंचायत
तहसील : अमिरगढ़ ,जिला : बनासकांठा .गुजरात 385130
घर : 123 पोपुलेशन : 742
अभी लोकसारथी फाउंडेशन द्वारा सब काम हो रहे है ..
#Khatisitara #LoksarthiFoundation करके भी ज्यादा इन्फर्मेशन ले सकते हैं।
Written On February 2018



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